आज के समय में सोलर पैनल का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर भारत में, जहां सौर ऊर्जा का एक बड़ा बाजार उभर रहा है। कई ब्रांड्स अपने सोलर पैनल्स पर 25 साल की वारंटी प्रदान करते हैं, लेकिन इस वारंटी की शर्तें और इसके तहत मिलने वाली सेवाओं की जानकारी अक्सर स्पष्ट नहीं होती। घर की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर पैनल एक शानदार विकल्प है.
लेकिन इसे खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, सही सोलर पैनल का चुनाव करें, जो आपके घर की आवश्यकताओं के अनुसार हो। इसके अलावा, पैनल की गुणवत्ता और वारंटी की शर्तों को भी अच्छे से समझें ताकि आप लंबे समय तक इसका लाभ उठा सकें।
सोलर पैनल की 25 साल की वारंटी सच क्या है जानिए
सोलर पैनल पर 25 साल की वारंटी का दावा अक्सर सोलर विनिर्माताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन क्या यह वाकई प्रभावी होती है? अधिकांश उपभोक्ता सोलर पैनल को बिजली के बिलों को कम करने के लिए लगाते हैं, और यह वारंटी उन्हें आश्वस्त करती है कि उनका निवेश सुरक्षित है।
असल में, यह वारंटी यह दर्शाती है कि सोलर पैनल 25 साल तक काम करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, कई बार उपभोक्ताओं को इस वारंटी का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। सोलर पैनल की वारंटी का सही लाभ प्राप्त करने के लिए, पैनल की गुणवत्ता, इंस्टॉलेशन सही तरीके से होना और ब्रांड की सेवा को समझना महत्वपूर्ण है।
भारत की सोलर इंडस्ट्री में क्या क्या बदलाव हुआ है जानें
वर्ष 2021 में भारत सरकार ने सोलर इंडस्ट्री को नई दिशा देने के लिए PLI (Production Linked Incentive) योजना की शुरुआत की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य घरेलू सोलर पैनल और सोलर सेल के उत्पादन को बढ़ावा देना था।
इसके तहत, केवल उन सोलर पैनल्स को अनुमति दी गई जिनकी दक्षता न्यूनतम 19.5% है। PLI योजना के तहत, पालीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स को LMM (Listed Module Manufacturers) की सूची से हटा दिया गया और केवल मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स को मान्यता प्राप्त है। इससे न केवल सोलर पैनल्स की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि भारत में सोलर ऊर्जा क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी।