रिलायंस पावर के शेयर आज फिर से चर्चा का विषय बने हुए हैं। सोमवार को कंपनी के शेयरों में लगातार दूसरे दिन 5% का लोअर सर्किट लगा। पिछले शुक्रवार को भी यही स्थिति रही, जिससे दो कारोबारी दिनों में कुल 10% की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट का कारण बाजार नियामक सेबी द्वारा अनिल अंबानी और 24 अन्य लोगों पर लगाया गया प्रतिबंध है।
सेबी ने अनिल अंबानी की रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़ी फंड हेराफेरी के आरोप में इन पर पांच साल तक के लिए सिक्योरिटी मार्केट में किसी भी प्रकार के लेन-देन पर रोक लगा दी है। इस कड़ी कार्रवाई के चलते रिलायंस पावर के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल है। अगर कंपनी इस संकट से नहीं उबर पाई, तो आने वाले दिनों में इसके शेयरों में और भी गिरावट हो सकती है।
अनिल अंबानी पर सेबी का सख्त एक्शन: 25 करोड़ रुपये का जुर्माना और पांच साल का प्रतिबंध
बाजार नियामक सेबी ने उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही उन्हें पांच साल के लिए किसी भी लिस्टेड कंपनी या बाजार नियामक के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) लेने से रोक दिया गया है। इस कार्रवाई का असर सिर्फ अनिल अंबानी तक सीमित नहीं है, बल्कि 24 अन्य यूनिट्स पर भी 21 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।
इसके अतिरिक्त, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) पर भी सेबी ने शिकंजा कसते हुए कंपनी को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सेबी के 222 पेज के आदेश में रिलायंस होम फाइनेंस के प्रबंधन और प्रमोटर्स की गंभीर लापरवाही का खुलासा किया गया है।
सेबी के आदेश के अनुसार, RHFL ने सैकड़ों करोड़ रुपये का ऋण उन कंपनियों को स्वीकृत किया, जिनके पास न तो पर्याप्त परिसंपत्तियां थीं, न नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था। इससे यह संकेत मिलता है कि इन ऋणों के पीछे कोई बड़ा खतरा छिपा हो सकता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि स्थिति और गंभीर तब हो गई जब पता चला कि इन कर्जदार कंपनियों का RHFL के प्रमोटर्स से करीबी संबंध था।
ऋण-मुक्त होने के बाद भी रिलायंस पावर के शेयरों में उतार-चढ़ाव
रिलायंस पावर, जो अनिल अंबानी की कंपनी है, ने हाल ही में 6,000 मेगावाट की उत्पादन क्षमता के साथ अपने पावर प्लांट्स का संचालन किया है। कंपनी ने FY24 की मार्च तिमाही में स्टैंडअलोन आधार पर शुद्ध रूप से ऋण-मुक्त स्थिति हासिल कर ली है।
पिछले एक साल में, कंपनी के शेयरों में लगभग 38% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले छह महीनों में यह वृद्धि 30% से अधिक रही है। वहीं, पिछले एक महीने में रिलायंस पावर के शेयरों में 10% की तेजी भी देखी गई है। हालांकि, 2008 में इस शेयर की कीमत 240 रुपये थी, जो अब तक लगभग 90% गिर चुकी है।
रिलायंस पावर में एलआईसी (LIC) की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। एलआईसी के पास कंपनी के 10,27,58,930 शेयर हैं, जो कुल 2.56% की हिस्सेदारी दर्शाते हैं। कंपनी की ऋण-मुक्त स्थिति और अन्य सकारात्मक पहलुओं के बावजूद, इसके शेयरों में उतार-चढ़ाव जारी है, जो निवेशकों के लिए चिंता का कारण हो सकता है।