कोर्ट का बड़ा फैसला! कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर आधी सैलरी देने का आदेश हुआ जारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के समय से पहले रिटायरमेंट (VRS) पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को 50:20 के नियम (50 वर्ष की आयु या 20 साल की सेवा) के तहत अनिवार्य रूप से रिटायर नहीं किया जा सकता। यह फैसला एक पूर्व कर्मचारी द्वारा दायर की गई याचिका के बाद आया, जिसमें उस कर्मचारी को समय से पहले रिटायर किया गया था।

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कोर्ट ने इसे अनुचित ठहराते हुए आदेश दिया कि ऐसे मामलों में कर्मचारियों को उनकी आधी सैलरी दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इस प्रकार के फैसलों से पहले कर्मचारी के हितों और नियमों का समुचित पालन सुनिश्चित करे। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 50:20 का फॉर्मूला लागू है, जिसके तहत 50 साल की उम्र या 20 साल की सेवा पूरी होने पर कर्मचारियों को रिटायर किया जा सकता है।

लेकिन हाईकोर्ट ने इस प्रावधान के गलत इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और कहा है कि कोई भी कर्मचारी अपनी इच्छा के बिना समय से पहले रिटायर नहीं किया जा सकता। यह फैसला कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो भविष्य में समय से पहले रिटायरमेंट के मामलों में दिशा-निर्देश तय करेगा।

50:20 फॉर्मूले पर एमपी हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नियमों का पालन अनिवार्य

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 50:20 फॉर्मूले पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को नियमों का सही तरीके से पालन किए बिना रिटायर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट किया कि 50 साल की उम्र या 20 साल की सेवा पूरी होने के बावजूद भी नियमों के उल्लंघन पर किसी कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति (VRS) नहीं दी जा सकती।

यह फैसला सतना जिले के दीपक बाजपेयी की याचिका पर आया है, जो 1996 में सामाजिक न्याय विभाग में चपरासी नियुक्त हुए थे और 2016 में उन्हें सहायक ग्रेड 3 में पदोन्नत किया गया था। लेकिन 2018 में उन्हें बिना किसी ठोस कारण के समय से पहले रिटायर कर दिया गया। याचिका में उन्होंने बताया कि उनका सर्विस रिकॉर्ड देखे बिना ही समिति ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें रिटायरमेंट की तिथि तक की आधी सैलरी दी जाए। 

हाईकोर्ट का फैसला: बिना अनुमति अनुपस्थित रहने पर दिया गया वीआरएस रद्द

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दीपक बाजपेयी के वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के आदेश को रद्द कर दिया है। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि बाजपेयी को बिना अवकाश स्वीकृति के अनुपस्थित रहने की वजह से वीआरएस दिया गया था। वहीं, याचिकाकर्ता दीपक बाजपेयी ने दलील दी कि उनकी पूरी सेवा अवधि में उन्हें केवल एक बार अनुपस्थिति पर चेतावनी दी गई थी, जिसे आधार बनाकर उन्हें समय से पहले रिटायर कर दिया गया। 

सुनवाई के बाद जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने वीआरएस के आदेश को गलत ठहराते हुए रद्द कर दिया और आदेश दिया कि बाजपेयी को रिटायरमेंट की निर्धारित उम्र तक आधी सेलरी दी जाए। यह फैसला कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो किसी भी बिना आधार के रिटायरमेंट के आदेशों पर सवाल उठाने का अवसर देता है।

Prashant Raghav is Finance content creator and covering latest share news, Solar News and green energy news from last 2 year. Prashant's strong writing skills and Financial knowledge make his content informative and engaging for readers. Contact: [email protected]

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