इलेक्ट्रिक वाहनों से हट जाएगी सब्सिडी केंद्रीय मंत्री का आया बड़ा बयान

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा कि लिथियम आयन बैटरी की कीमतों में लगातार कमी के चलते अब इलेक्ट्रिक वाहन बिना किसी सरकारी सब्सिडी के भी अपनी लागत बरकरार रख सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दो सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हो जाएंगी।

हालांकि, यह फैसला वित्त और भारी उद्योग मंत्रालयों को लेना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को आगे भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए या नहीं। गडकरी ने ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) के वार्षिक सत्र में यह बातें साझा कीं, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों की संभावनाओं और भविष्य पर चर्चा की।

जानिए इसकी पूरी डिटेल के बारे में 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति अभी उम्मीद के मुताबिक नहीं है, जिसके चलते अधिक प्रोत्साहन की जरूरत पर चर्चा हो रही है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वे सब्सिडी के खिलाफ नहीं हैं और उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है।

उन्होंने बताया कि पहले लिथियम आयन बैटरी की कीमत लगभग 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवाट घंटा थी, लेकिन अब यह घटकर 10.8 से 11 करोड़ डॉलर प्रति किलोवाट घंटा हो गई है। गडकरी को विश्वास है कि जल्द ही यह कीमत 10 करोड़ डॉलर तक आ जाएगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो आने वाले समय में इनकी लागत को और कम करेगी।

दो साल में पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर होगी इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि आने वाले दो सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हो जाएगी। गडकरी ने कहा कि लिथियम आयन बैटरी की कीमतों में गिरावट और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में हो रही बढ़ोतरी से यह संभव होगा। उन्होंने बताया कि अब बिना सब्सिडी के भी इलेक्ट्रिक वाहन किफायती बन रहे हैं, क्योंकि उनकी उत्पादन लागत में लगातार कमी आ रही है।

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के सवाल पर गडकरी ने कहा कि अगर वित्त और भारी उद्योग मंत्रालय सब्सिडी जारी रखना चाहते हैं, तो यह मोटर वाहन उद्योग के लिए लाभकारी होगा। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि वह खुद सब्सिडी के विरोध में नहीं हैं। गडकरी ने यह भी विश्वास जताया कि भारत जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा मोटर वाहन निर्माण केंद्र बन सकता है।

इसके पीछे भारतीय प्रतिभाओं की उपलब्धता, तकनीकी उन्नति और वैश्विक स्तर पर भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की प्रतिष्ठा को प्रमुख कारण बताया। पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता पर गडकरी ने कहा कि बाजार की प्रवृत्ति खुद ही उपभोक्ताओं को नए वाहनों की ओर आकर्षित करेगी, जिससे वाहन निर्माताओं को ज्यादा कदम उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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