नवरात्रि के पहले दिन लाखों रेलवे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को अपनी विशेष बैठक में रेलवे कर्मचारियों के लिए 78 दिन के बोनस की घोषणा की। इस फैसले के तहत केंद्र ने रेलवे कर्मचारियों के लिए 2029 करोड़ रुपये की प्रोडक्टिविटी से संबंधित बोनस योजना को मंजूरी दी है। यह योजना लगभग 12 लाख कर्मचारियों को लाभान्वित करेगी। इस बोनस की वजह से कर्मचारियों की मेहनत और कार्यकुशलता को मान्यता मिलेगी, जो उन्हें अपने कार्य के प्रति और अधिक प्रेरित करेगी।
क्या है सरकार की महत्वपूर्ण घोषणा जानिए
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में रेलवे कर्मचारियों के लिए 2,029 करोड़ रुपये के प्रोडक्टिविटी से जुड़े बोनस को मंजूरी देने की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “इस फैसले से 11,72,240 कर्मचारियों को लाभ होगा,” जो रेलवे के अच्छे प्रदर्शन का परिणाम है।
आधिकारिक बयान में बताया गया कि यह राशि विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों जैसे ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड), स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, तकनीशियन, तकनीशियन सहायक, पॉइंट्समैन, और अन्य ग्रुप एक्ससी स्टाफ को दी जाएगी।
साल 2023-2024 में भारतीय रेलवे ने शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें 158.8 करोड़ टन का रिकॉर्ड माल लोड किया गया और लगभग 6.7 अरब यात्रियों को यात्रा कराई गई। रेलवे के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन में कई महत्वपूर्ण कारकों का योगदान है, जैसे कि सरकार द्वारा किए गए रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय के चलते बुनियादी ढांचे में सुधार, परिचालन में दक्षता, और बेहतर तकनीक का उपयोग।
रेलवे यूनियनों ने क्या अभियान चलाया जानिए
हाल ही में रेलवे यूनियनों ने प्रोडक्टिविटी से जुड़े बोनस की मांग को लेकर एक सोशल मीडिया अभियान चलाया। यूनियनों का कहना था कि उन्हें छठे वेतन आयोग के बजाय सातवें वेतन आयोग के आधार पर बोनस मिलना चाहिए।
गुरुवार को शुरू किए गए इस अभियान से पहले, इंडियन रेलवे इंप्लॉइज फेडरेशन (आईआरईएफ) ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखकर अपनी मांग को समर्थन दिया था। हालांकि, उनके कार्यालय की तरफ से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
आईआरईएफ के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने बताया कि उन्हें छठे वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन के आधार पर हर साल बोनस मिलता है, जो उन्हें अन्यायपूर्ण लगता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बोनस राशि 17,951 रुपये है, जिसकी गणना 7,000 रुपये के वेतनमान पर की जाती है। यह वेतनमान अब लागू नहीं होता, क्योंकि सातवें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निर्धारित किया है।