उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में सरकारी और अर्द्धसरकारी दफ्तरों में बिजली की समस्या अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। नई सौर ऊर्जा परियोजना के तहत, बिजली का खर्च न केवल आधा होगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत रेस्को मोड में सोलर रूफटॉप सिस्टम लगाए जाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस योजना में सरकारी विभागों को किसी तरह का खर्च नहीं करना होगा। प्रदेश में नेडा के अंतर्गत चल रहे इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए सात कंपनियों को नामित किया गया है, जो इन सोलर पैनलों की स्थापना करेंगी।
सोलर रूफटॉप से उत्पन्न बिजली का खर्च मात्र ₹4.90 प्रति यूनिट होगा, जबकि वर्तमान में पावर कॉर्पोरेशन के माध्यम से आपूर्ति की जा रही बिजली की दर लगभग ₹8.50 प्रति यूनिट है। इससे सरकारी विभागों को न केवल आर्थिक बचत होगी, बल्कि बिजली कटौती जैसी समस्याओं से भी राहत मिलेगी।
क्या प्रमुख अस्पतालों में भी लगेंगे सोलर रूफटॉप जानिए
मुरादाबाद जिले में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देते हुए प्रमुख सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में सोलर रूफटॉप लगाए जाने का काम शुरू हो चुका है। जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य प्रमुख कार्यालयों को इस परियोजना के तहत शामिल किया गया है।
एनएचएम के जिला प्रोग्राम मैनेजर रघुवीर सिंह ने बताया कि सोलर रूफटॉप से बिजली का खर्च काफी कम होगा, जिससे सरकारी बजट पर भार कम पड़ेगा। इस प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि 25 साल तक इसके संचालन और रखरखाव का पूरा जिम्मा सरकार द्वारा नामित कंपनियों के पास रहेगा। यह कदम न केवल वित्तीय बचत करेगा, बल्कि स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा को भी बढ़ावा देगा।
सोलर रूफटॉप लगाने के लिए कौन सी कंपनियों से हुआ अनुबंध जानिए
मुरादाबाद समेत उत्तर प्रदेश के सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट के लिए कई कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें कोसुसे सर्विस (लखनऊ), एनआरजीवाई (दिल्ली), लार्ड नार्क इंडस्ट्रीज (लखनऊ), केएलके वेंचर्स (नोएडा), जीपी एडिबल फूड्स (कानपुर), एचएफएम सोलर, और ओएमसी पॉवर प्रमुख रूप से शामिल हैं।
ये कंपनियां सरकारी दफ्तरों में सोलर पैनल स्थापित करने तक उनके संचालन और रखरखाव का काम संभालेंगी। यह अनुबंध न केवल बिजली के खर्च में कटौती करेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।