सोलर पैनल से मिलने वाली बिजली की करंट और वोल्टेज अनियमित रहती है, जिससे बैटरी को सीधे चार्ज करना सुरक्षित नहीं है। अगर आप सीधे पैनल से बैटरी चार्ज करेंगे, तो बैटरी में ओवरचार्जिंग या अंडरचार्जिंग हो सकती है, जिससे उसकी लाइफ कम हो जाती है या वो जल्दी खराब हो सकती है। इस समस्या को हल करने के लिए सोलर चार्ज कंट्रोलर का उपयोग करना जरूरी है।
सोलर चार्ज कंट्रोलर एक ऐसा उपकरण है जो पैनल से आने वाली करंट और वोल्टेज को नियंत्रित करता है, जिससे बैटरी में सुरक्षित और संतुलित चार्जिंग होती है। यह ओवरचार्जिंग को भी रोकता है, जिससे बैटरी की लाइफ बढ़ती है। सोलर चार्ज कंट्रोलर का उपयोग करके आप अपने सोलर पैनल सिस्टम का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और बैटरी की उम्र को भी लम्बा कर सकते हैं।
सोलर पैनल से बैटरी चार्ज करने का सही तरीका
सोलर पैनल से बैटरी चार्ज करना एक सरल प्रक्रिया है, लेकिन इसे सही तरीके से करना जरूरी है ताकि बैटरी की उम्र लंबी हो और अधिक ऊर्जा प्राप्त हो सके। सबसे पहले, सोलर पैनल को ऐसी जगह और सही कोण में इंस्टाल करें जहाँ उसे अधिकतम सूर्य का प्रकाश मिले। सही इंस्टॉलेशन से बिजली उत्पादन बढ़ जाता है, जो आपके बैटरी चार्जिंग के लिए आवश्यक है।
इसके बाद, सोलर पैनल के पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल को सोलर चार्ज कंट्रोलर के संबंधित टर्मिनल से जोड़ें। फिर, बैटरी के पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल को चार्ज कंट्रोलर के टर्मिनल से जोड़ें। यह कनेक्शन करने के बाद एक बार इसे अच्छी तरह से जांचें ताकि कनेक्शन मजबूत हो और कोई शॉर्ट-सर्किट का खतरा न हो।
चार्जिंग प्रक्रिया को बेहतर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सोलर पैनल की सफाई करें और बैटरी की स्थिति पर नजर रखें। धूल और गंदगी हटाने से पैनल अधिक ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है। साथ ही, बैटरी की स्थिति और चार्जिंग लेवल की समय-समय पर जांच करने से आप उसकी कार्यक्षमता को बरकरार रख सकते हैं।
यदि आप इस कनेक्शन को खुद स्थापित कर रहे हैं, तो सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। बेहतर होगा कि इस प्रक्रिया में किसी अनुभवी तकनीशियन की मदद लें ताकि कोई त्रुटि न हो और आप सुरक्षित रहें।
आइये जानते हैं सोलर सिस्टम में इनवर्टर कनेक्शन कैसे देखा जाय
सोलर सिस्टम में इनवर्टर जोड़ना बेहद जरूरी होता है, खासकर ऑफग्रिड सिस्टम में, जहाँ बिजली का स्टोरेज और उसकी निरंतरता महत्वपूर्ण होती है। इनवर्टर का मुख्य कार्य डीसी (DC) पावर को एसी (AC) पावर में बदलना है ताकि हम अपने रोजमर्रा के घरेलू उपकरण जैसे पंखे, टीवी, फ्रिज आदि चला सकें। सोलर सिस्टम का सेटअप कुछ चरणों में पूरा होता है।
सबसे पहले, सोलर पैनल से सोलर चार्ज कंट्रोलर को जोड़ा जाता है। चार्ज कंट्रोलर का काम है पैनल से आने वाली बिजली को नियंत्रित करना और बैटरी में सुरक्षित तरीके से स्टोर करना। इसके बाद चार्ज कंट्रोलर से बैटरी को कनेक्ट किया जाता है, जिससे सूर्य की रोशनी में बनाई गई ऊर्जा बैटरी में संग्रहीत हो जाती है। अब बैटरी को इनवर्टर के साथ जोड़ा जाता है।
इस तरह से संग्रहीत डीसी बिजली को इनवर्टर के माध्यम से एसी में बदलकर किसी भी एसी उपकरण को चलाया जा सकता है। सोलर सिस्टम के प्रकारों में ऑफग्रिड, ऑनग्रिड, और हाइब्रिड सिस्टम शामिल हैं। ऑनग्रिड सिस्टम में बैटरी की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह सिस्टम सीधे ग्रिड से जुड़ा होता है।
इस तरह के सिस्टम पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। वहीं, ऑफग्रिड सिस्टम में बैटरी का प्रयोग होता है, जिससे हम बिना ग्रिड पर निर्भर हुए कभी भी बिजली का उपयोग कर सकते हैं।