भारत की प्रमुख रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी सुजलॉन एनर्जी ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। जुलाई से सितंबर की तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 96% बढ़कर ₹200.20 करोड़ तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट ₹102.29 करोड़ था, जिससे इस बार के नतीजे उल्लेखनीय सुधार की ओर इशारा करते हैं।
कंपनी ने रेवेन्यू में भी मजबूत ग्रोथ दिखाई, जो इस तिमाही में 48% बढ़कर ₹2,092.99 करोड़ हो गया। पिछले वर्ष की समान तिमाही में यह आंकड़ा ₹1,417.21 करोड़ था। सुजलॉन के इस रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा इसके विंड टर्बाइन जेनरेटर सेगमेंट और ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस सेवाओं से आया है।
विंड टर्बाइन जेनरेटर सेगमेंट का रेवेन्यू इस बार 72.14% की वृद्धि के साथ ₹1,507.07 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह ₹875.47 करोड़ था। पुणे स्थित सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में भारत की एक अग्रणी कंपनी है, जो पवन टर्बाइन निर्माण में विशेषज्ञता रखती है।
आइये जानते हैं कंपनी के शेयर के बारे में
सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड के शेयर सोमवार के कारोबारी सत्र में 7% की बढ़त के साथ ₹72.66 पर पहुंच गए। हालांकि, पिछले एक महीने में इस शेयर में 12% की गिरावट आई है, लेकिन साल 2023 में अब तक इसमें 90% की तेजी देखी गई है।
इस शेयर ने सालभर में निवेशकों को 125% का दमदार रिटर्न दिया है। इसका 52-वीक हाई ₹86.04 है। कंपनी के ये शानदार नतीजे और ग्रोथ आंकड़े रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में बढ़ते निवेश और सुजलॉन की मज़बूत स्थिति को दर्शाते हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
क्या क्या बदलाव हुआ मैंनेजमेंट में जानिए
सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन गिरीश तांती को भारतीय विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। कंपनी ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी। गिरीश तांती की इस नई जिम्मेदारी से सुजलॉन और भारत के विंड एनर्जी सेक्टर में सकारात्मक बदलावों की उम्मीद जताई जा रही है।
इसके अलावा, नॉर्डेक्स इंडिया के उपाध्यक्ष सरवनन मणिकम को आईडब्ल्यूटीएमए का उपाध्यक्ष-सह-सचिव नियुक्त किया गया है। यह नियुक्तियां 25 अक्टूबर को चेन्नई ट्रेड सेंटर में आयोजित आईडब्ल्यूटीएमए की वार्षिक बैठक के दौरान की गईं।
इस बैठक में विंडर रिन्यूएबल एनर्जी के सीईओ के भारती ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए 2030 तक वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को कई गुना बढ़ाना अनिवार्य है।