किसी भी कर्मचारी के लिए पेंशन का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन क्या हो जब सरकार किसी कर्मचारी की पेंशन को बिना किसी स्पष्ट कारण के रोक दे हाल ही में गुजरात हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सरकार को किसी भी कर्मचारी की पेंशन रोकने का अधिकार है और उसे इसके लिए कर्मचारी से कोई स्पष्टीकरण मांगने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कर्मचारी की अपील पर कोई फैसला नहीं आता, तब तक संबंधित अधिकारी को पेंशन रोकने का निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
हाई कोर्ट का अहम फैसला क्या है जानिए
गुजरात हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी को सेवाकाल के दौरान भ्रष्टाचार या किसी गंभीर अपराध में दोषी ठहराया जाता है, तो राज्य सरकार उस कर्मचारी की पेंशन को रोक सकती है। यह कदम कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद भी उठाया जा सकता है, यदि कोर्ट ने उस कर्मचारी को सजा सुनाई हो। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सरकार को किसी कारण बताओ नोटिस (show cause notice) जारी करने की जरूरत नहीं है। यानी, बिना किसी विशेष जानकारी के भी पेंशन को बंद किया जा सकता है।
विभाग न करें यह इंतजार जानिए
गुजरात हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार या किसी अन्य गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है, तो सरकार को उसकी पेंशन तुरंत रोकने का अधिकार है। यह प्रावधान पेंशन नियम-2002 के नियम-23 में साफ तौर पर दिया गया है। यह फैसला हाई कोर्ट के जस्टिस एएस सुपाहिया और एमआर मेंगड़े की पीठ ने सुनाया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कर्मचारी ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देता है या अपील करता है, तो विभाग या संबंधित अथॉरिटी को उस अपील के निर्णय का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। इसका मतलब है कि अपील पर फैसला आने से पहले भी पेंशन को रोकने की कार्रवाई की जा सकती है।