EPS-95 Pension Formula: कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) केंद्र सरकार द्वारा 1995 में शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्ट्रेशन के बाद कर्मचारी स्वचालित रूप से इस पेंशन योजना से जुड़ जाता है। इस योजना में 58 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद कर्मचारी को पेंशन मिलनी शुरू होती है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को अपने वेतन का 12% योगदान EPF में करना होता है, जिसमें से 8.33% हिस्सा सीधे EPS पेंशन फंड में जाता है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करना और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सहायता प्रदान करना है। EPS-95 योजना कर्मचारियों को एक स्थिर पेंशन देने के साथ ही, उन्हें बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर करती है।
EPS-95 पेंशन योजना: कर्मचारियों के लिए प्रमुख लाभ
EPS-95 पेंशन योजना भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण योजना है, जो कर्मचारियों को रिटर्न की गारंटी प्रदान करती है। जिन कर्मचारियों का वेतन और महंगाई भत्ता (DA) 15,000 रुपये या उससे कम होता है, उन्हें इस योजना में पंजीकृत होना आवश्यक होता है। इस योजना के तहत 50 साल की उम्र पूरी करने के बाद कर्मचारी अपने EPS फंड से धनराशि निकाल सकते हैं।
इसके अलावा, यदि लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो पेंशन उनके जीवनसाथी और उसके बाद उनके बच्चों को हस्तांतरित कर दी जाती है। EPS-95 योजना में न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये निर्धारित की गई है, जिससे हर कर्मचारी को वित्तीय सुरक्षा मिलती है। यह योजना कर्मचारियों को भविष्य के लिए आर्थिक रूप से सुरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, जो उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
EPS-95 पेंशन गणना का फॉर्मूला और न्यूनतम पेंशन की मांग
EPS-95 योजना के तहत पेंशन की गणना एक सरल फॉर्मूले से की जाती है: औसत वेतन × रोजगार की अवधि ÷ 70। यहां औसत वेतन का अर्थ पिछले 12 महीनों के दौरान प्राप्त मूल वेतन और महंगाई भत्ता (DA) से होता है। वर्तमान में कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के पेंशनभोगियों द्वारा न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये प्रति माह किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
इसके साथ ही, महंगाई भत्ते (DA) को पेंशन में शामिल करने की भी अपील की जा रही है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंतर्गत आने वाले पेंशनभोगी इस मांग के समर्थन में सक्रिय रूप से प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। इस पेंशन योजना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन पेंशन की न्यूनतम राशि बढ़ाने की मांग अब आवश्यक हो गई है, ताकि पेंशनधारकों की मौजूदा जरूरतों को पूरा किया जा सके।
EPS पेंशन वृद्धि की मांग: पेंशनभोगियों के लिए बेहतर भविष्य की अपील
EPS पेंशन योजना के तहत पेंशनधारकों द्वारा पेंशन बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह किए जाने की मांग तेजी से उठ रही है। इसके साथ ही महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने, बिना किसी भेदभाव के सभी पेंशनभोगियों को उच्च पेंशन का विकल्प देने और उनके जीवनसाथी के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की भी अपील की जा रही है।
EPS पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति का कहना है कि सालों तक पेंशन फंड में योगदान करने के बावजूद वर्तमान में पेंशनभोगियों को औसतन केवल 1,171 रुपये की पेंशन मिल रही है, जो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। यदि पेंशन को 9,000 रुपये प्रति माह किया जाए और साथ में महंगाई भत्ता भी दिया जाए, तो पेंशनभोगी सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। यह मांग न केवल वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि पेंशनधारकों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कर्मचारी पेंशन योजना में फंड जमा होने की प्रक्रिया
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित राशि पेंशन फंड में जमा होती है। कर्मचारी के मूल वेतन का 12% हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जाता है, जबकि नियोक्ता द्वारा दिए गए 12% योगदान में से 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के फंड में जमा होता है।
इसके अतिरिक्त, सरकार भी इस योजना में 1.16% का योगदान करती है, जिससे पेंशन फंड को और मजबूत बनाया जाता है। इस पेंशन फंड का उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। पेंशन राशि में वृद्धि को लेकर भी जल्द ही कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है, जिससे पेंशनधारकों को अधिक लाभ मिल सकेगा और उनका भविष्य और सुरक्षित हो सकेगा।