सोलर पैनल, आधुनिक तकनीक का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो सूरज की रोशनी से बिजली उत्पन्न करता है। 4KW सोलर पैनल का मतलब है कि यह 4 किलोवाट बिजली हर घंटे उत्पन्न कर सकता है, जब सूरज की रोशनी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो। आमतौर पर, एक दिन में यह पैनल 16-20 यूनिट बिजली बना सकता है, जो आपके घरेलू उपकरणों को चलाने के लिए पर्याप्त हो सकता है। सोलर पैनल के उपयोग से आप बिजली बिल में काफी कमी ला सकते हैं और ग्रिड पर निर्भरता कम कर सकते हैं।
4KW सोलर पैनल से कितनी बिजली उत्पन्न होती है जानिए
4 किलोवाट के सोलर पैनल से बनने वाली बिजली की गणना बेहद आसान है। 4KW यानी 4000 वाट की क्षमता, जो सौर पैनल की शक्ति को दर्शाती है। अगर इसे एक घंटे धूप में रखा जाए, तो ये पैनल 4 किलोवाट-घंटा बिजली उत्पन्न करते हैं। अब अगर इसे 5 घंटे तक अच्छी धूप में रखा जाए, तो ये पैनल लगभग 20 किलोवाट-घंटा (20 यूनिट) बिजली बना सकते हैं।
हालांकि, सौर पैनल के काम में लगभग 20% पावर लॉस होता है, जिसे मानक रूप से स्वीकार किया जाता है। इसलिए, इस लॉस को ध्यान में रखते हुए, 4KW का सोलर पैनल लगभग 16 यूनिट तक बिजली का उत्पादन करता है। इस बिजली से आप अपने घर के कई उपकरण चला सकते हैं और बिजली बिल में भी कमी ला सकते हैं।
सोलर पैनल की कार्यक्षमता को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक जानिए
सोलर पैनल की कार्यक्षमता कई कारकों पर निर्भर करती है। सबसे पहले, सोलर पैनल का प्रकार बेहद अहम है। अगर आप तेजी से बिजली उत्पादन चाहते हैं, तो मोनोक्रिस्टलाइन या बाइफेशियल सोलर पैनल का उपयोग सबसे बेहतर होता है, क्योंकि ये आधुनिक तकनीक पर आधारित हैं। मौसम की स्थिति- भी सोलर पैनल की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
खराब मौसम, बादल या बारिश के दौरान पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ठीक से काम नहीं करते, जबकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल विभिन्न मौसम स्थितियों में बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। सोलर पैनल की स्थापना-भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सही दिशा और कोण पर पैनल लगाना जरूरी है। सामान्यत: सोलर पैनल को दक्षिण दिशा में स्थापित करने पर अधिक धूप मिलती है, जिससे अधिक बिजली उत्पादन होता है।
सोलर पैनल का रखरखाव-भी उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। अगर पैनल पर धूल, मिट्टी या गंदगी जमा हो जाए, तो बिजली उत्पादन कम हो सकता है। नियमित सफाई, मुलायम कपड़े और पानी से पैनल को साफ करने से इनकी कार्यक्षमता बनी रहती है। इसके अलावा, स्थापना के लिए सोलर एक्सपर्ट की मदद लेना चाहिए, ताकि पैनल सही ढंग से लग सकें और सरकारी सब्सिडी का लाभ भी उठाया जा सके।