पेंशनभोगियों के लिए बड़ी खबर! जारी हुआ पेंशन में रिवीजन का प्रस्ताव, जानें बड़ी उपडेट

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा पेंशनभोगियों के लिए जारी एक आदेश को अवैध करार दिया है। यह आदेश वेतन आयोग की सिफारिशों और पेंशन संशोधन के कारण बढ़ी पेंशन का लाभ केवल नए पेंशनभोगियों को देने की बात करता था।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि इस तरह का लाभ सभी पेंशनभोगियों को मिलना चाहिए, चाहे वे पुराने हों या नए। इससे सभी पेंशनभोगियों को समान रूप से फायदा होगा। यह निर्णय पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि अब उन्हें अपनी पेंशन में वृद्धि का लाभ मिल सकेगा।

हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल न्यायसंगत है बल्कि इससे हजारों पेंशनभोगियों को आर्थिक सहायता मिलेगी। यह निर्णय पेंशनभोगियों के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: सभी पेंशनभोगियों को समान लाभ

सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2008 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जो इस मामले की जड़ है। इस फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक ही रैंक से रिटायर्ड सभी पेंशनभोगियों की पेंशन समान होनी चाहिए, चाहे वे रक्षा बल से हों या सिविल सेवा से। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों या पेंशन संशोधन के कारण जो भी पेंशन में बढ़ोतरी होती है, वह लाभ उन पेंशनभोगियों को भी मिलना चाहिए जो पहले से ही रिटायर हो चुके हैं। 

यह निर्णय पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि इससे सभी को समान पेंशन का लाभ मिलेगा। यह फैसला पेंशनभोगियों के अधिकारों की रक्षा और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब सभी पेंशनभोगी, चाहे वे किसी भी सेवा से रिटायर हुए हों, उन्हें समान रूप से पेंशन का लाभ मिलेगा।

विवादित आदेश: दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों ने अपनी पेंशन संशोधन के लिए आवेदन किए थे। इसके बाद, केंद्र सरकार ने 18 नवंबर 2009 को एक आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ केवल रक्षा बल के पेंशनभोगियों को ही मिलेगा, न कि सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों को। 

इस आदेश से सिविल पेंशनभोगी नाराज हो गए और उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। लंबी सुनवाई के बाद, दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 मार्च 2024 को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के 18 नवंबर 2009 के आदेश को अवैध करार दिया और कहा कि पेंशन संशोधन का लाभ सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों को भी मिलना चाहिए, न कि सिर्फ रक्षा बल के पेंशनभोगियों को।

इस निर्णय से साफ होता है कि हाईकोर्ट ने समानता और न्याय के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे सिविल पेंशनभोगियों को भी उनके अधिकारों का उचित लाभ मिलने में सहायता मिलेगी।

भारतीय पेंशनभोगी समाज की मांग: न्याय और समर्पण का प्रतीक्षा

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद, भारतीय पेंशनभोगी समाज ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 1 जनवरी 2006 से पहले रिटायर हुए सभी पेंशनभोगियों की पेंशन में बढ़ोतरी की जाए, ताकि वे 1 जनवरी 2006 के बाद रिटायर हुए पेंशनभोगियों के समान हो सकें। समाज ने यह मांग उठाई है क्योंकि इससे न केवल न्याय का सिद्धांत पूरा होगा, बल्कि यह राष्ट्र के सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों के प्रति समर्पण का प्रतीक्षा भी होगा। 

इस मांग के पीछे समाज ने उन पेंशनभोगियों की भी बात उठाई है, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना समर्पण किया है और अपनी पेंशन में इस तरह की बढ़ोतरी को न्यायसंगत मानते हैं। यह मांग न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि एक समर्पित समाज की भावना को भी प्रकट करती है।

Prashant Raghav is Finance content creator and covering latest share news, Solar News and green energy news from last 2 year. Prashant's strong writing skills and Financial knowledge make his content informative and engaging for readers. Contact: [email protected]

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