क्या बिना बैटरी सोलर सिस्टम चलाना सही या गलत? जानें पीछे की असली सच्चाई

आज के समय में, सोलर एनर्जी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और बैटरी के बिना सोलर सिस्टम लगाना एक आकर्षक विकल्प बन गया है। 1kW ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम को बिना बैटरी के स्थापित किया जा सकता है, जिससे आप बिजली के बिलों में उल्लेखनीय कमी कर सकते हैं। यह सिस्टम सीधे सौर पैनलों से उत्पन्न बिजली को आपके घर के उपयोग के लिए उपलब्ध कराता है।

बिना बैटरी के सोलर सिस्टम के कई लाभ हैं। सबसे पहले, यह सिस्टम अधिक सस्ता और सरल होता है, क्योंकि इसमें बैटरी की लागत और रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती। जब सूर्य की रोशनी होती है, तो यह सिस्टम बिजली का उत्पादन करता है, और आप इसे तुरंत अपने उपकरणों में इस्तेमाल कर सकते हैं। जब सौर ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है, तो अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजा जा सकता है, जिससे आपको उसके लिए क्रेडिट मिलता है।

इसके अलावा, यह सिस्टम पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह कोई प्रदूषण नहीं करता। इस प्रकार, बैटरी के बिना सोलर सिस्टम एक बुद्धिमान विकल्प है, जो न केवल आपकी बिजली की लागत को कम करता है, बल्कि एक स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में भी एक कदम है। तो, यदि आप सौर ऊर्जा के लाभ उठाने की सोच रहे हैं, तो बिना बैटरी का 1kW ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

जानिए सोलर सिस्टम के प्रकार और सरकारी सब्सिडी के बारे में 

भारत में सोलर सिस्टम को तीन मुख्य प्रकारों में स्थापित किया जा सकता है: ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड। ऑन-ग्रिड सिस्टम मुख्य बिजली ग्रिड के साथ जुड़े होते हैं और इनमें बैटरी की आवश्यकता नहीं होती। ये सिस्टम सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए बिजली के बिलों में कमी लाने में मदद करते हैं। दूसरी ओर, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सिस्टम में बैटरी होती है, जो बैकअप के रूप में कार्य करती है। ये सिस्टम उन क्षेत्रों के लिए बेहतर हैं, जहां बिजली की आपूर्ति में अस्थिरता होती है।

भारत सरकार, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। नई प्रधानमंत्री सूर्याघर योजना के तहत, एक 1 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम पर आपको ₹30,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है। यह सब्सिडी सोलर सिस्टम की लागत को कम करने में मदद करती है, जिससे यह अधिक लोगों के लिए सुलभ हो जाता है। इसके अलावा, इस योजना के तहत लाभार्थियों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी मिल सकती है। 

आइये जानते हैं सोलर पैनल और इनवर्टर की लागत क्या है 

सोलर पैनल सोलर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं। सोलर पैनल के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं: पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनो PERC, और बाइफेसियल। पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे किफायती विकल्प हैं और इन्हें 1 किलोवाट की क्षमता के लिए लगभग ₹25,000 में खरीदा जा सकता है।

ये पैनल सामान्यत: कम धूप में अपेक्षाकृत कम उत्पादन करते हैं, लेकिन इनकी लागत में कमी इन्हें बहुत से लोगों के लिए आकर्षक बनाती है। मोनो PERC सोलर पैनल उच्च दक्षता के साथ आते हैं और ये कम धूप में भी बेहतर कार्य करते हैं। इनकी कीमत लगभग ₹35,000 होती है, और ये उन लोगों के लिए बेहतरीन होते हैं जो सौर ऊर्जा का अधिकतम लाभ उठाना चाहते हैं।

बाइफेसियल सोलर पैनल सबसे उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं और ये दोनों तरफ से बिजली उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। 1 किलोवाट के बाइफेसियल पैनल की कीमत लगभग ₹45,000 तक हो सकती है, जो इनकी उच्च दक्षता को देखते हुए सही मानी जाती है। सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के साथ एक इनवर्टर भी आवश्यक होता है, जो डीसी बिजली को एसी बिजली में परिवर्तित करता है।

1 किलोवाट के सोलर सिस्टम के लिए, सोलर इन्वर्टर की कीमत ₹10,000 से ₹15,000 के बीच होती है। इनवर्टर PWM और उच्च दक्षता वाले MPPT तकनीक में उपलब्ध होते हैं, जो सौर ऊर्जा को अधिकतम रूप से उपयोगी बनाते हैं।

Prashant Raghav is Finance content creator and covering latest share news, Solar News and green energy news from last 2 year. Prashant's strong writing skills and Financial knowledge make his content informative and engaging for readers. Contact: [email protected]

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