हाल ही में मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की है, जिससे रिटायरमेंट के बाद के जीवन में आर्थिक स्थिरता लाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसके साथ ही मौजूदा न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि UPS के साथ NPS का विकल्प भी कर्मचारियों के लिए खुला रखा गया है। इससे लोग अब दोनों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि एक बार चुनाव करने के बाद निर्णय अंतिम होगा।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अधिक समन्वित और व्यापक लाभ प्रदान करने का दावा करती है। UPS के तहत पेंशन की राशि का निर्धारण पहले से अधिक पारदर्शी और लाभकारी हो सकता है, जिससे कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद अधिक वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
वहीं, NPS के तहत निवेशकों को उनकी पेंशन राशि पर बाजार आधारित रिटर्न मिलता है, जबकि UPS एक स्थिर और गारंटीड पेंशन प्रदान कर सकती है। हालांकि, UPS में भी कुछ शर्तें और प्रक्रियाएं हो सकती हैं, जिनके बारे में कर्मचारियों को सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) कब से होगी लागू? जानिए पूरी जानकारी
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत पेंशन लाभ पाने के इच्छुक सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। UPS को 24 अगस्त 2024 को मोदी सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है। इस स्कीम के लागू होने से पहले यह जानना जरूरी है कि इसका क्रियान्वयन कब से होगा।
दिसंबर 2003 तक सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू थी। इसके बाद, जनवरी 2004 में, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने OPS को समाप्त कर न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को लागू किया। लेकिन NPS के प्रभाव और उपयोगिता को देखते हुए, मोदी सरकार ने अप्रैल 2023 में एक समीक्षा कमेटी का गठन किया।
इस कमेटी की अगुआई टीवी सोमनाथन ने की और इसमें राज्यों के वित्तीय सचिवों, नेताओं, और सैकड़ों कर्मचारी यूनियनों से चर्चा की गई। इसके बाद कमेटी ने NPS में सुधार के लिए कुछ सिफारिशें कैबिनेट के समक्ष पेश कीं। इन सिफारिशों के आधार पर, 24 अगस्त 2024 को UPS को मंजूरी दी गई। इस नई पेंशन स्कीम को अगले वित्त वर्ष, यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा।
UPS के आने से सरकारी कर्मचारियों को एक और विकल्प मिलेगा, जिससे वे अपनी पेंशन योजना को बेहतर ढंग से चुन सकेंगे। नई स्कीम का उद्देश्य पेंशन लाभ में अधिक पारदर्शिता और स्थिरता लाना है, ताकि रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे पहले कि आप UPS या NPS का चुनाव करें, यह सुनिश्चित करें कि आप दोनों योजनाओं के सभी पहलुओं पर गौर कर चुके हैं।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम: कैसे तय होगी आपकी रिटायरमेंट के बाद की पेंशन?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की राशि उनके आखिरी साल की औसत सैलरी के आधार पर तय की जाएगी। इस नई योजना में कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों की बेसिक पे का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी को उसके नौकरी के आखिरी साल में 50,000 रुपये बेसिक पे मिल रही थी, तो उसे रिटायरमेंट के बाद हर महीने 25,000 रुपये पेंशन मिलेगी। यह पेंशन राशि कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद एक स्थिर आय स्रोत के रूप में कार्य करेगी, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
इसके अलावा, UPS के तहत 25 साल या उससे अधिक समय तक नौकरी करने वाले कर्मचारियों को यह 50% पेंशन मिलेगी। लेकिन अगर किसी कर्मचारी की नौकरी की अवधि 25 साल से कम और 10 साल से ज्यादा है, तो उन्हें उसी अनुपात में कम पेंशन दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि नौकरी की अवधि जितनी अधिक होगी, पेंशन की राशि उतनी ही ज्यादा होगी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद भी एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। UPS, कर्मचारियों को उनके सेवा काल के दौरान की गई मेहनत का उचित प्रतिफल देने की कोशिश करती है, जिससे वे रिटायरमेंट के बाद भी वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर रह सकें।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम: 10 साल से ज्यादा नौकरी वालों के लिए पेंशन की गारंटी
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत, सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए भी पेंशन की न्यूनतम सीमा तय की है, जिन्होंने 10 साल से ज्यादा और 25 साल से कम समय तक नौकरी की है।
इस योजना के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल से अधिक नौकरी की है, तो उसकी बेसिक पे चाहे जितनी भी कम हो, उसे रिटायरमेंट के बाद कम से कम 10,000 रुपये पेंशन मिलनी सुनिश्चित की गई है। इससे यह पक्का हो जाता है कि ऐसे कर्मचारी, जिनकी सर्विस अवधि 25 साल से कम है, उन्हें भी एक न्यूनतम वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
यह कदम उन कर्मचारियों के लिए राहत का काम करेगा, जिनकी सर्विस अवधि कम होने के कारण पेंशन राशि कम हो सकती थी। अब वे भी रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आवश्यक न्यूनतम पेंशन प्राप्त कर सकेंगे।