सौर ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार तेजी से बढ़ रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। अब बाजार में जल्द ही वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल आने वाले हैं, जो पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम हैं। ये पैनल खासतौर पर इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि वे न केवल सीधे सूर्य की रोशनी से बल्कि जमीन से परावर्तित प्रकाश से भी बिजली उत्पन्न कर सकें।
इन पैनलों को लंबवत लगाया जाता है, जिससे कम जगह में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करना संभव होता है। यह तकनीक घनी आबादी वाले क्षेत्रों और औद्योगिक स्थानों के लिए बेहद उपयोगी है, जहां सीमित भूमि पर अधिकतम उत्पादन की आवश्यकता होती है। अमेरिका और यूरोप में यह तकनीक पहले ही लोकप्रिय हो चुकी है, और वहां इन पर व्यापक शोध और विकास जारी है।
क्या विशेषतायें हैं इन सोलर पैनलों की जानिए
वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल सौर ऊर्जा उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। इनके सामने वाला भाग सीधे सूर्य की किरणों को पकड़ता है, जबकि पीछे का हिस्सा परावर्तित प्रकाश (एल्बेडो लाइट) को अवशोषित करता है। इस अनोखी डिजाइन के कारण ये पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में 15% तक अधिक बिजली उत्पादन कर सकते हैं।
लंबवत इंस्टॉलेशन की सुविधा के चलते इन्हें दीवारों पर या छोटी जगहों में आसानी से लगाया जा सकता है, जिससे जमीन की बचत होती है। साथ ही, ये पैनल अधिक गर्मी सहन कर सकते हैं, जिससे गर्म क्षेत्रों में भी इनकी दक्षता बनी रहती है।
कैसे काम करता है वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल जानिए
वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल सौर ऊर्जा को बिजली में बदलने की एक उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं। इनके सामने का हिस्सा सीधे सूर्य की किरणों को ग्रहण करता है, जिससे फोटोवोल्टिक प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में सिलिकॉन सेल सूर्य की ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करते हैं।
वहीं, पैनल का पिछला भाग जमीन या आसपास की सतहों से परावर्तित प्रकाश (एल्बेडो लाइट) को अवशोषित करता है, जिससे कुल ऊर्जा उत्पादन बढ़ता है। इन पैनलों से उत्पन्न बिजली को सौर बैटरियों में संग्रहीत किया जा सकता है। यह बैटरी सुनिश्चित करती हैं कि दिन-रात निरंतर बिजली आपूर्ति बनी रहे।
क्या फायदे हैं वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल के जानिए
वर्टिकल बाइफेसियल सोलर पैनल सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नई क्रांति लेकर आए हैं। ये पैनल न केवल सूर्य से आने वाली सीधी रोशनी बल्कि परावर्तित प्रकाश का भी उपयोग करते हैं, जिससे इनका कुल ऊर्जा उत्पादन काफी बढ़ जाता है। शोध के अनुसार, ये पैनल पारंपरिक पैनलों की तुलना में सालाना 2.5% अधिक बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
इनकी डिजाइन लंबवत होती है, जिससे इन्हें इमारतों की दीवारों पर या सीमित स्थानों पर आसानी से स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा, इनके नीचे की जगह का उपयोग कृषि, पार्किंग, या अन्य गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। तापमान में वृद्धि होने पर भी ये पैनल बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जबकि पारंपरिक पैनल हर डिग्री वृद्धि पर 0.3-0.4% दक्षता खो देते हैं।