जिस प्रकार से वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण काफी अत्यधिक मात्रा में देखने को मिल रही है। इन्हीं पर्यावरण को दूषित से बचने के लिए दुनिया में तेजी से रिन्युएबल सोर्स का रुख कर रही है। दुनिया भर में एक से बढ़कर एक सोर्स को सरकार द्वारा बेहतर से बेहतर पॉलिसी बनाने में जुड़ी हुई है।
रिन्यूएबल सोर्स सबसे ज्यादा खासकर भारतीय बाजार में सोलर एनर्जी को लेकर दिलचस्पी दिखा रही है। लेकिन रिपोर्ट अनुसार यह जानकारी प्रस्तुत किया गया है कि 2 साल में काफी अत्यधिक मात्रा में बढ़ोतरी देखने को मिली थी। वर्तमान समय में सोर्स क्षमता की अगर बात करें तो इनमें आपको 44 परसेंट की तेजी से गिरावट देखने को मिली है। जो की काफी कम है।
यह आंकड़ा 2016 के बाद से सबसे कम है। इसीलिए लोगों द्वारा सवाल उठाना तो लाजमी है। आखिरकार खासकर सोलर एनर्जी इंडस्ट्री में इतनी मंदी क्यों दिखाने को मिली एवं आगामी क्या कारण है। जिसके लिए लोग परेशान हैं खासकर सोलर पैनल में गिरावट के कारण आईए इन जानकारी को जानते हैं।
2023 में सोलर एनर्जी में कितनी बढ़ोतरी?
रिपोर्ट अनुसार यदि देखी जाए तो भारत जैसे देशों में 2023 में 7.5गीगावॉट (GW) सोलर एनर्जी क्षमता को जोड़ी गई है। जो पिछले 13.4 गीगावॉट के रिकॉर्ड में काफी कम बताई गई है। महामारी से प्रभावित जब सारी देश में हुई थी।
यदि उस आंकड़े को छोड़कर बात की जाए तो 2016 के बाद सबसे निचले स्तर को प्राप्त किया है। इसका मुख्य योगदान गिरावट को लेकर बड़े सोलर प्रोजेक्टर का रहा है। जैसे कि एक हाल फिलहाल के जानकारी देखी जाए तो 2022 में उनकी क्षमता को बढ़ाकर 11 पॉइंट 60 किलोवाट कर दी गई थी। जो 2023 में 50% से घटकर 5.8 तक गीगावॉट रह गई थी।
2022 में हुई फिर से गिरावटौ
यदि रूफटॉप सोलर पावर कैपेसिटी के अनुरूप 2022 की आगरा को देखी जाए तो 1.7 गीगावॉट बड़ी है। इतना ही नहीं सरकार के द्वारा एडवांस टेक्नोलॉजी को देखते हुए रूफटॉप सोलर पावर को काफी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।
ताकि सोलर कैपेसिटी भारत में 2023 के अंत में 72 की वर्तक पहुंचाई जा सके। इन्हें बड़े पैमाने पर बड़ी से बड़ी कंपनियां योगदान देकर इस आंकड़े को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स कि अगर बात की जाए तो 60 गीगावॉट से अधिक बताई गई है।
आखिरकार क्यों आई ये गिरावट?
सोलर एनर्जी प्रोड्यूसर्स को हाल फिलहाल में कई रेगुलेटरी बडो का सामना करने के बाद सख्त ग्रिड कनेक्टिविटी के द्वारा 2021 का सुप्रीम कोर्ट निर्देशानुसार यह फैसला लिया गया है। राजस्थान और गुजरात जैसे बड़े शहरों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक चिड़िया की प्रजाति जो सुरक्षा को ओवरहेड बिजली के ट्रांसफर को अनिवार्य कर दिया है।
रिपोर्ट अनुसार अभी खबर प्रस्तुत की जाती है की शुरुआत में भारत की सौर क्षमता चीन से आयातित सेल्स पर निर्भर किया करती थी। जिसके कारण इसमें आपको बहुत सारे गिरावट देखने को मिली है।
यदि केंद्र में आयातित सौर मॉड्यूल द्वारा उपलब्ध कराए गए जानकारी अनुसार 40% और सेल्स पर 25 परसेंट सीमा शुल्क लगाया गया है। यही कारण है की आयात में तेजी से गिरावट सोलर एनर्जी के बीच देखने को मिली है।
2024 के लिए क्या है लक्ष्य?
यदि पिछले साल की आगरा को देखी जाए तो लंबे गिरावट के बाद क्षमता में बहुत सारे असर देखने को मिली है। लेकिन 2024 के लिए 105.3 गीगावॉट के प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में उनकी क्षमता को बढ़ाई गई है। जबकि एक्स्ट्रा 70.6 गीगावॉट के लिए इन्हें नीलामी होने के लिए बाकी छोड़ दिया गया है।
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