Solar Panel cost for aata chakki: जानें आटा चक्की के लिए सोलर पैनल लगवाने में कितना आएगा ख़र्चा ? – डिटेल जानकारी

Solar panel cost for aata chakki: भारत में कई पारंपरिक बिज़नस, जैसे आटा चक्की, मिल, तेल मिल, और चूरा मिल, पीढ़ियों से चलते आ रहे हैं। इन बिज़नस में समय के साथ प्रयोग किए जाने वाले उपकरण बदलते गए हैं, परंतु डीजल और बिजली की बढ़ती कीमतें हमेशा से एक चुनौती रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए अब कई जगहों पर सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है।

बिहार के बेतिया जिले में, जो पटना से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, एक 10 एचपी (हॉर्स पावर) आटा चक्की को 15 किलोवाट सोलर पैनल की मदद से चलाया जा रहा है। यह कदम बिजली और डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते उठाया गया है। सोलर पैनल का उपयोग न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।

Solar panel cost for aata chakki

सौर ऊर्जा से संचालित आटा चक्की: बिजली और डीजल खर्च में बचत

बिहार के बेतिया जिले में एक नई पहल के तहत सोलर पैनल का उपयोग करके आटा चक्की चलाई जा रही है। इस कदम के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं जो इसे पारंपरिक बिजली और डीजल से चलने वाली चक्कियों से बेहतर बनाते हैं।

कम खर्च: सोलर पैनल से आटा चक्की चलाने में बिजली और डीजल की तुलना में काफी कम खर्च आता है। यह आर्थिक रूप से फायदेमंद है और लंबे समय में लागत में बचत होती है।

लंबे समय तक संचालन: दिन के समय सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक आटा चक्की सोलर पैनल से चल सकती है। इससे दिनभर बिना किसी रुकावट के काम हो सकता है।

अधिक कमाई: प्रतिदिन लगभग 1,000 रुपये की कमाई होती है, जिससे बिज़नस को अधिक लाभ होता है और निवेश की वसूली तेजी से हो जाती है।

बिजली पर निर्भरता कम: सोलर पैनल की वजह से आटा चक्की पूरी तरह से बिजली पर निर्भर नहीं रहती। यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जहाँ बिजली की आपूर्ति अनियमित होती है।

इस प्रणाली में 10 एचपी और 3 एचपी के दो 3-फेज एसी मोटर का उपयोग किया जाता है, जिससे आटा चक्की और चूरा मिल चलते हैं। दिन के समय सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली इन मोटरों को चलाती है। अगर रात के समय भी चक्की चलाने की आवश्यकता हो, तो इसे चेंज ओवर की मदद से सरकारी बिजली पर स्विच किया जा सकता है।

सोलर पैनल से आटा चक्की:

बिहार के बेतिया जिले में सौर ऊर्जा का उपयोग करके आटा चक्की चलाना एक नवाचार है जो कई फायदे प्रदान करता है। सोलर पैनल सूर्य की रोशनी से डीसी (DC) बिजली बनाते हैं, जिसे VFD (वैरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव) की मदद से एसी (AC) बिजली में बदला जाता है। सोलर पैनल को ऐसी जगह स्थापित किया जाता है जहाँ पूरे दिन सूर्य की रोशनी मिल सके।

सोलर पैनल को पैनल स्टैंड पर मजबूती से कसकर स्थापित किया जाता है। सोलर वायर की मदद से बिजली को MCB डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स तक पहुंचाया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली सुरक्षित रूप से उपयोग की जा सके।

आटा चक्की चलाने के लिए सोलर वायर कनेक्शन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए, ताकि मोटर पूरी स्पीड से चल सके और गेहूँ पीसते समय आटा सही आकार में मिल सके। सोलर सिस्टम खरीदते समय यह जानना आवश्यक है कि मोटर कितनी HP और फेज की है। नीचे दिए गए विवरण के अनुसार सोलर पैनल, VFD, और DCDB का उपयोग किया जाता है।

सोलर सिस्टम के घटक:

मोटर: 10 HP 3 फेज मोटर और 3 HP 3 फेज मोटर

सोलर पैनल: 34 * 390-वाट सोलर पैनल

निर्माता: लूम सोलर (LOOM SOLAR)

सोलर पैनल प्रकार: मोनो PERC सोलर पैनल

इंस्टालेशन क्षेत्र: टिन शेड

कनेक्शन डायग्राम: सीरीज कनेक्शन (17 सोलर पैनल)

कंट्रोलर: 20 HP VFD, 3 फेज

चेंज ओवर: ग्रिड से सोलर/सोलर से ग्रिड स्विच

इस सोलर सिस्टम के साथ, आटा चक्की दिन के समय सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक सौर ऊर्जा से चल सकती है। अगर रात में चक्की चलानी हो तो चेंज ओवर स्विच की मदद से इसे सरकारी बिजली पर बदला जा सकता है। 

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Prashant Raghav is Finance content creator and covering latest share news, Solar News and green energy news from last 2 year. Prashant's strong writing skills and Financial knowledge make his content informative and engaging for readers. Contact: [email protected]

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