देश में बढ़ते प्रदूषण और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती मांग ने सरकार और आम आदमी को बिजली बिल के बारे में गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। आम आदमी अब बिजली बिल कम करने के उपाय ढूंढ रहे हैं। बिजली बिल कम करने के कई तरीके हैं जैसे घरों में एनर्जी एफ्फिसिएंट उपकरणों का उपयोग करना, जरूरत के अनुसार ही बिजली का उपयोग करना, सीढ़ियों के पास सेंसर बल्ब और IoT आधारित प्रोडक्ट्स लगाना, इत्यादि।
इन उपायों को अपनाने से लगभग 10% – 20% तक बिजली बिल कम किया जा सकता है। लेकिन वंही हर साल घरों की बिजली की जरूरत 6% – 7% तक बढ़ जाती है, क्योंकि लोग अपने घर में नए उपकरण जैसे एयर कंडीशनर, इंडक्शन मशीन, रूम हीटर, गीजर, इलेक्ट्रिक स्कूटी, इलेक्ट्रिक कार, इत्यादि जोड़ते हैं।
भारतीय सरकार ने बिजली की जरूरत और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए नवीकरणीय स्रोतों से बिजली बनाने के नियम जारी किए हैं। इसमें हर घर के छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। सोलर पैनल लगवाने से न सिर्फ बिजली बिल कम होता है, बल्कि पर्यावरण की भी सुरक्षा होती है।
सोलर सिस्टम लगवाने का खर्च और सब्सिडी स्कीम की जानकारी
सोलर सिस्टम लगवाने का खर्च और सब्सिडी स्कीम हर साल सरकार द्वारा तय की जाती है, जो सिस्टम की क्षमता के अनुसार बदलती रहती है। MNRE के अनुसार, सोलर सिस्टम लगवाने का खर्च और सब्सिडी की जानकारी नीचे दी गई है:
सब्सिडी स्कीम:
3kW तक की प्रणाली : 40% सब्सिडी
3kW से 10kW तक की प्रणाली : 20% सब्सिडी
10kW से ऊपर की प्रणाली : कोई सब्सिडी नहीं
सोलर सिस्टम की लागत:
3kW सोलर सिस्टम की लागत (बिना सब्सिडी): ₹1,80,000
ग्राहक को भुगतान : ₹1,08,000 (₹72,000 सब्सिडी के बाद)
5kW सोलर सिस्टम की लागत (बिना सब्सिडी): ₹3,00,000
ग्राहक को भुगतान : ₹2,04,000 (₹96,000 सब्सिडी के बाद)
सोलर सिस्टम से उत्पन्न बिजली और लाभ:
5kW सोलर सिस्टम:
दैनिक उत्पादन : 25 यूनिट्स (₹187)
मासिक उत्पादन : 625 यूनिट्स (₹4,687)
वार्षिक उत्पादन : 7,500 यूनिट्स (₹56,250)
जीवनकाल उत्पादन : 1,87,500 यूनिट्स (₹14,06,250)
निवेश पर लाभ:
वापसी की अवधि : 3.6 साल
कुल आय : 6.89X
स्थापना क्षेत्र:
मोनो पर्क (Mono Perc): 500 वर्ग फुट
शार्क 440W – 540W: 300 वर्ग फुट
कौन ले सकता है सोलर सब्सिडी का फायदा: जानें महत्वपूर्ण नियम
भारत सरकार सोलर सब्सिडी केवल घरों के ऊपर सोलर सिस्टम लगाने पर प्रदान कर रही है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और शर्तें निर्धारित की गई हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है:
1. ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम : सोलर सिस्टम ग्रिड से जुड़ा होना चाहिए।
2. उपभोक्ता के नाम पर बिजली कनेक्शन और घर के दस्तावेज : बिजली कनेक्शन और घर के दस्तावेज़ों में उपभोक्ता का नाम एक ही होना चाहिए।
3. बिजली मीटर की क्षमता : बिजली मीटर की क्षमता 1 किलोवाट या उससे ऊपर होनी चाहिए।
सब्सिडी अमाउंट मिलने की अवधि:
सरकार के नए नियमों के अनुसार, सोलर सब्सिडी अब उपभोक्ता के बैंक खाते में मात्र 30 दिनों के भीतर आ जाएगी। इसके लिए उपभोक्ता को अपने सोलर सिस्टम की इंस्टॉलेशन के फोटो अपने नजदीकी बिजली विभाग में जमा करने होंगे।
भारत में लगभग 96 बिजली विभाग हैं जो 25 करोड़ घरों में बिजली पहुंचाते हैं। कई राज्यों में बिजली विभाग की ऑनलाइन वेबसाइट भी उपलब्ध है जहां से उपभोक्ता अपनी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिन राज्यों में ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां उपभोक्ता अपने नजदीकी बिजली विभाग में जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
रूफटॉप सोलर पैनल सब्सिडी: कैसे और कितनी मिलेगी?
भारत सरकार रूफटॉप सोलर पैनल लगाने पर सब्सिडी प्रदान कर रही है। ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम के लिए सब्सिडी की दरें निम्नलिखित हैं:
1kW से 3kW तक : 40% सब्सिडी
4kW से 10kW तक : 20% सब्सिडी
10kW से अधिक : कोई सब्सिडी नहीं
सब्सिडी कैसे प्राप्त करें:
सरकार द्वारा निर्धारित सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आपके सोलर सिस्टम को ग्रिड से कनेक्ट होना चाहिए। सब्सिडी की राशि सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होती है:
1. सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन : सबसे पहले, अपने घर की छत पर सोलर सिस्टम इंस्टॉल करवाएं।
2. इंस्टॉलेशन फोटो जमा करें : सोलर सिस्टम इंस्टॉल होने के बाद, उसकी फोटो अपने नजदीकी बिजली विभाग को जमा करें।
3. सब्सिडी प्राप्त करें : फोटो जमा करने के 30 दिनों के भीतर सब्सिडी की राशि आपके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
यह सब्सिडी योजना उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है और बिजली के बिलों में बचत करने में मदद करती है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और ऊर्जा की बचत करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
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